Income Tax Act: आजकल बैंक खातों में नकद जमा करने की एक निश्चित सीमा निर्धारित है, जिसके बारे में जानकारी रखना हर खाताधारक के लिए आवश्यक है। आयकर अधिनियम 2025 के अनुसार, बैंक खाते में एक निश्चित सीमा से अधिक नकद जमा करने पर आयकर विभाग को सूचित करना अनिवार्य है। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों पर नियंत्रण रखना है। यह जानकारी आपको आर्थिक लेनदेन में सतर्कता बरतने में मदद करेगी और अनावश्यक जांच से बचाएगी।
सेविंग और करंट अकाउंट में नकद जमा की सीमा
आयकर अधिनियम के अनुसार, बचत खाते (सेविंग अकाउंट) में एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक नकद जमा करने पर आयकर विभाग को इसकी सूचना देनी होती है। वहीं, व्यापारिक खाते (करंट अकाउंट) के लिए यह सीमा 50 लाख रुपये निर्धारित है। यह सीमा इसलिए रखी गई है ताकि बड़े नकद लेनदेन पर नजर रखी जा सके और कर चोरी के प्रयासों को रोका जा सके। यदि आप इस सीमा से अधिक नकद जमा करते हैं, तो आपके बैंक द्वारा इसकी जानकारी आयकर विभाग को स्वतः ही भेज दी जाती है।
बैंकों की भूमिका और जिम्मेदारी
बैंकों और वित्तीय संस्थानों का यह दायित्व है कि वे निर्धारित सीमा से अधिक के सभी नकद लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को प्रदान करें। बचत खाते में 10 लाख रुपये और चालू खाते में 50 लाख रुपये से अधिक के लेनदेन की रिपोर्ट बैंकों द्वारा दी जाती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन जमा राशियों पर तुरंत कोई कर नहीं लगाया जाता है, लेकिन यह आयकर विभाग को बड़े नकद लेनदेन पर नजर रखने में मदद करता है। बैंक इन लेनदेन की जानकारी नियमित रूप से आयकर विभाग को भेजते हैं।
सेक्शन 194N – नकद निकासी पर TDS
आयकर अधिनियम की धारा 194N के तहत, बैंक खाते से नकद निकासी पर भी कुछ नियम हैं। यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी करता है, तो बैंक द्वारा 2% की दर से टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) काटा जाता है। जिन व्यक्तियों ने पिछले तीन वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उनके लिए और भी कड़े नियम हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए, 20 लाख रुपये से अधिक की निकासी पर 2% और एक करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर 5% की दर से टीडीएस काटा जाएगा।
TDS का महत्व और उपयोग
यह महत्वपूर्ण है कि नकद निकासी पर काटे गए टीडीएस को आय नहीं माना जाता है। यह केवल एक प्रकार का अग्रिम कर है, जिसे आप अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते समय क्रेडिट के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका मतलब है कि यदि आपके द्वारा देय कुल कर से अधिक टीडीएस काटा गया है, तो आप रिफंड के लिए दावा कर सकते हैं। इसलिए, नकद लेनदेन करते समय इन नियमों का ध्यान रखना और अपने टीडीएस सर्टिफिकेट को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है।
सेक्शन 269ST – नकद लेनदेन पर प्रतिबंध और जुर्माना
आयकर अधिनियम की धारा 269ST के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति एक ही दिन, एक ही व्यक्ति से, या एक ही लेनदेन के लिए 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि स्वीकार करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नियम बैंकों से नकद निकासी पर लागू नहीं होता है, क्योंकि वहां पहले से ही टीडीएस के माध्यम से नजर रखी जाती है। इस नियम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर नकदी के प्रवाह को कम करना और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है।
सेक्शन 269SS और 269T – नकद ऋण पर नियम
आयकर अधिनियम की धारा 269SS और 269T नकद ऋण (लोन) से संबंधित हैं। इन नियमों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति 20,000 रुपये से अधिक का नकद ऋण लेता या चुकाता है, तो उसे उतनी ही राशि का जुर्माना देना पड़ सकता है। इन नियमों का उद्देश्य बिना किसी रिकॉर्ड के बड़े ऋण लेनदेन को रोकना है। व्यावसायिक गतिविधियों के लिए, यदि जमा राशि आयकर रिटर्न में घोषित कारोबार के टर्नओवर से मेल खाती है, विशेष रूप से सेक्शन 44AD/44ADA के तहत, तो किसी तरह का जुर्माना नहीं लगता है।
सेक्शन 68 – आमदनी का स्रोत साबित करना
अगर कोई व्यक्ति अपनी आय का स्रोत साबित नहीं कर पाता है, तो आयकर विभाग सेक्शन 68 के तहत नोटिस जारी कर सकता है। यदि जमा की गई राशि का स्रोत स्पष्ट नहीं है, तो इसे अघोषित आय माना जा सकता है। ऐसी स्थिति में, अनवेरिफाइड आमदनी पर 60% टैक्स, 25% सरचार्ज और 4% सेस लगाया जा सकता है, जो कुल मिलाकर काफी बड़ा टैक्स बोझ हो सकता है। इसलिए, हमेशा अपनी आय के स्रोत का प्रमाण रखना महत्वपूर्ण है।
नकद जमा पर कर कैसे लगता है
यह समझना महत्वपूर्ण है कि सिर्फ नकद जमा करने से ही आप पर कर नहीं लगाया जाता है। यदि आप बचत खाते में 10 लाख रुपये या चालू खाते में 50 लाख रुपये से अधिक नकद जमा करते हैं, तो बैंक इसकी सूचना आयकर विभाग को देगा। यदि यह राशि आपकी घोषित आय से मेल खाती है, तो आप पर कोई अतिरिक्त कर नहीं लगेगा। हालांकि, यदि जमा की गई राशि का स्रोत स्पष्ट नहीं है या आपकी घोषित आय से अधिक है, तो आयकर विभाग इसकी जांच कर सकता है और अतिरिक्त कर या जुर्माना लगा सकता है।
सुरक्षित नकद लेनदेन के लिए सुझाव
अपने आपको आयकर विभाग की जांच से बचाने के लिए, हमेशा अपने नकद लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड रखें। सभी बड़े लेनदेन के लिए बैंकिंग चैनल का उपयोग करें और डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता दें। अपनी आय का स्रोत स्पष्ट रखें और नियमित रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करें। यदि आप बड़ी राशि जमा कर रहे हैं, तो उसका स्रोत साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज जैसे संपत्ति बिक्री विलेख, उपहार विलेख, या ऋण अनुबंध जैसे दस्तावेज रखें। इन सावधानियों का पालन करके आप अनावश्यक जांच और परेशानी से बच सकते हैं।
आयकर अधिनियम 2025 के तहत नकद जमा और निकासी के नियमों की जानकारी रखना हर नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है। इन नियमों का पालन करने से न केवल आप कानूनी परेशानियों से बच सकते हैं, बल्कि अपने वित्तीय मामलों को भी बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं। याद रखें, सभी बड़े लेनदेन के लिए उचित दस्तावेज और प्रमाण रखना आवश्यक है। आयकर विभाग की निगरानी बढ़ गई है, इसलिए सभी आर्थिक गतिविधियों में पारदर्शिता बनाए रखें और नियमों का पालन करें। यह न केवल आपको परेशानी से बचाएगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक योगदान देगा।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है और इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। आयकर संबंधी नियम और कानून समय-समय पर बदल सकते हैं। किसी भी विशिष्ट आयकर मामले के लिए, कृपया योग्य कर सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। व्यक्तिगत कर मामलों में हमेशा पेशेवर सलाह लेना सुनिश्चित करें।